विंध्य स्टोरी सतना,शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के नए आयाम छूते हुए, अमर ज्योति विद्यालय के शिक्षक, सचिन पाण्डेय ने टेंस की पहचान के एक अनूठे और अभिनव तरीके को प्रस्तुत किया है। उनके इस शोध में उन्होंने ध्वनियों के आधार पर टेंस (काल) की पहचान करने के एक नए दृष्टिकोण को विकसित किया है, जो न केवल सरल है बल्कि व्यावहारिक भी है। उनके इस प्रयास से यह साबित होता है कि टेंस की पहचान ध्वनियों के स्वरूप के आधार पर की जा सकती है, चाहे वह वर्तमान काल हो, भूतकाल हो, या भविष्य काल हो।
श्री पाण्डेय का तर्क है कि भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है और चूँकि भाषा की उत्पत्ति ध्वनि से ही हुई है, इसलिए ध्वनि को मूल मानते हुए हर चीज की पहचान की जा सकती है। इसी दृष्टिकोण से उन्होंने यह सिद्ध किया कि क्रियाओं के अंत में आने वाली ध्वनियाँ टेंस की पहचान करने में महत्वपूर्ण संकेतक हो सकती हैं।
• शिक्षा में नवाचार का नया अध्याय
श्री पाण्डेय का यह नवाचार छात्रों के लिए टेंस को समझना और याद रखना बेहद आसान बना देगा। जहाँ एक ओर पारंपरिक तरीके से टेंस की पहचान के लिए नियमों का सहारा लिया जाता था, वहीं दूसरी ओर यह ध्वनि-आधारित दृष्टिकोण छात्रों को टेंस का बोध कराने के लिए एक सहज और त्वरित तरीका प्रदान करता है। इससे छात्रों में भाषा के प्रति रुचि भी बढ़ेगी और वे व्याकरण को एक नए दृष्टिकोण से समझ सकेंगे।
• ध्वनि के महत्व पर आधारित दृष्टिकोण
सचिन पाण्डेय का मानना है कि भाषा की उत्पत्ति और विकास ध्वनि पर ही आधारित है, इसलिए ध्वनियों को मूल मानकर किसी भी भाषा के व्याकरणिक तत्वों की पहचान की जा सकती है। उन्होंने यह दिखाया है कि किस प्रकार भाषा की ध्वनियाँ टेंस की स्पष्ट पहचान कर सकती हैं।
• शिक्षकों और छात्रों के लिए एक नया दृष्टिकोण
इस नवाचार का प्रभाव केवल छात्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षक भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं। श्री पाण्डेय का यह दृष्टिकोण शिक्षकों को टेंस की शिक्षा देने के पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ने और इसे सरल व सुलभ बनाने में मदद करेगा। यह शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो नवाचार की ओर प्रेरित करता है।